सोमवार, 16 अगस्त 2010

एक नज़र: सामाजिक तानेबाने के हिंसक लोग

इस बार की चिट्ठी आप तक लाये हैं मेरे एक दिल अज़ीज़ और चिर-परिचित असामाजिक मित्र ने … ना ना ना गलत मत समझिये.. इस चिट्ठी में उन्होंने अपने आप को संबोधित किया है चिर-परिचित असामाजिक दोस्त.. ये तो आप चिट्ठी पढ़ने से खुद ब खुद जान जायेंगे कि ये शख्स अपने आप को ऐसा क्यों कह रहे हैं. तो जरा गौर फरमाइए उनके द्वारा भेजी गयी इस चिट्ठी पर...

समाज का अर्थ क्या होता है? ये भला कुछ अस्तित्व विहीन लोगों से बेहतर और कौन जान सकता है…जो सामाजिक होने का दिखावा तो करते हैं , लेकिन हकीकत में सामाजिकता से उनका दूर दूर तक कोई वास्ता ही नहीं है .ये बात मैंने यहाँ पर आप लोगों के सामने इसलिए रखी है , क्योंकि कुछ दिनों पहले ही मुझे “सामाजिकता” का मूल अर्थ समझाया गया, क्योंकि इनकी नजर में मैं समाज की उस सामाजिकता का हिस्सा नहीं हूं , जहाँ मैं इनकी किसी राय से सहमत हो सकूं…

अब कोई ऐसे सामाजिक लोगों से ही पूछे कि उस समय उनकी सामाजिकता क्या घास चर रही थी जब किसी बात को स्पष्ट करने के बजाय ये सामाजिक प्राणी अपनी हदों से बाहर निकल गए थे . वैसे ये भी कहना यहाँ पर गलत नहीं होगा कि लोग अपने अस्तित्व की परिपाटी को भूलकर लोगों के सामने अपना ही व्यंग्य बनाते फिरते हैं ! वो भी कुछ ऐसे शब्दों का उपयोग करके जिनका मतलब उन्हें भी नहीं पता होगा .

दोस्तों की श्रेणी में पहले रह चुके ये लोग आज किसी दोस्ती के लायक तो रहे नहीं, लेकिन अन्दर ही अन्दर इन्हें किसी ऐसे शख्स से आगे निकलने की होड़ मची हुई है , लेकिन हकीक़त है कि उनसे आगे ये कभी निकल ही नहीं सकते. इन “सामाजिक प्राणियों” से कोई ये भी पूछे कि “दुर्जन हरकत” का अभिप्राय क्या होता है? वास्तव में अगर कोई दुर्जन हो ही जाता है तो उसका सारा व्यक्तिव्य ही नकारात्मक हो जाता है . पर अब उनकी इस हिंदी की विशिष्ट शैली के क्या कहने...! जो हम और आप इन सामाजिक प्राणियों से ही सीख पाते हैं...!

अब रुख करते हैं कुछ ऐसे ही शब्दों की ओर जिनको देखकर तो लगता है कि ये वास्तव में हिंदी के ही हैं लेकिन इनका उपयोग निहित वाक्य में कैसे किया जाता है…आइए हम इन्हीं से जानते हैं .

1. “मानसिक समीक्षा”

2. “सकारात्मक व नकारात्मक आलोचना”

3. “सामाजिक ताने बाने से जुडी एक वेबसाइट”

4. “अनर्गल बाण”

इस विशिष्ट हिंदी का ज्ञान अगर आप लोगों को समझना मुश्किल हो रहा है तो चिंता न करें…इन सामाजिक प्राणियों के शब्दकोश में कई ऐसे शब्द हैं जो शायद ही आपको किसी एक वाक्य का भाव समझा सकें. सामाजिक तानेबाने के ऐसे शब्दों को सुनकर मुझे आश्चर्य तो नहीं होता लेकिन कभी ऐसा लगता है कि कहीं न कहीं इन सामाजिक प्राणियों की शिक्षा में कोई कमी जरूर रह गयी है .वरना मैं तो ये भी कहता हूँ कि अगर ऐसे लोग अपने आपको सामाजिक कहने का श्रेय जबरदस्ती लेना चाहते हैं, तो वास्तव में ये सामाजिक ही हैं. पर मैं ऐसे सामाजिक प्राणी की श्रेणी में रहना नहीं चाहता …वजह ये है कि मैं अपने कामों की समीक्षा करता हूँ ना

कि

अपनी सोच की .

चलिए अब बात करते हैं इनकी “वास्तविक सामाजिकता” की..
.

इनके मुताबिक समाज का अर्थ होता है जहाँ लोग मिलजुल कर रहें…जहाँ आपसे जुड़े सारे लोगो की राय एक ही हो . तो अब इन “सामाजिक प्राणियों” को कोई बताये कि ये अपनी निजी ज़िन्दगी को समाज के सामने कैसे रख रहे हैं ..! मुझे इनकी निजता से कोई सरोकार नहीं पर इनके सामाजिक होने के नाते समाज को बिल्कुल ही इनकी वास्तविकता से फर्क पड़ता है .ये मैं नहीं कहता लेकिन कुछ ऐसे ही “सुधरे सामाजिक प्राणियों” से इन “सामाजिक प्राणियों” की बातें सुनने को मिलती हैं. अब इन सामाजिक प्राणियों से ही कोई पूछे कि ये वास्तव में सामाजिक श्रेणी में आते हैं या फिर समाज की परिधि में रहकर लोगों के सामने सामाजिक होने का दिखावा करते हैं.

अब अगर आप सामाजिक हैं तो मुझे ये बताने की चेष्टा जरूर करियेगा कि जो लोग सामाजिकता की परिभाषा से ही वाकिफ़ नहीं हैं, वो मुझे समाज का आईना दिखाने की कोशिश क्यों कर रहे हैं? जबकि उनकी खुद की सामाजिकता समाज के दायरों से कहीं बाहर है...!

आपका

“एक चिर -परिचित असामाजिक दोस्त”

ज्यादा जानकारी के लिए ये लिंक ज़रूर क्लिक करें -

http://looseshunting.blogspot.com/2010/07/blog-post_20.html

1 टिप्पणी:

"अ-जय" ने कहा…

infact the person who wrote the frst draft is somthing different frm the other one...but actual things i got from the second one. Let me tell you Mr "......"(whosoever wrote this) one thing that this society is mirror of our deeds and we are least concerned about the face we are being shown...so after having a look on both drafts i reach to a conclusion that the draft written in frst absolutely absurd and I myself think that you should restrain urself throwing such comments as it happened with you Mr......!!! so all the best if you tried to defend you as a cultured civilian.
hope this will make/bring a new modification in society, actually we are waiting for.
Thanks'