गुरुवार, 26 नवंबर 2009

20 बरस के सचिन

इस बार की चिट्टी आप तक पहुँचाने में काफी वक्त लगा, इसके liye क्षमाप्रार्थी हूँ। मीडिया में वक्त की कमी से जूझ रहा हूँ। खैर इस बार की चिट्ठी है सचिन के नाम जिसने हम सभी देशवासियों को एक बार फ़िर मुस्कुराने का मौका दिया
क्रिकेट अगर स्वर्ग है तो सचिन इस स्वर्ग के भगवान हैं जो अपने कद से बड़े क़ारीगर हैं और अपनी इस कारीगरी से हर भारतीय के चेहरे पर मुस्कान बिखेर देते हैं। सचिन की सबसे बड़ी विशेषता है क्रिकेट के प्रति उनका समर्पण और अधिक से अधिक रन बटोरने की भूख। मैदान में उनकी एकाग्रता और चपलता कठिनाईयों को बगैर कोई भावना दर्शाए मुकाबला करने का ठोस उदाहरण है। अपनी इसी दीवानगी को सच करने में सचिन ने किस तरह भारतीय क्रिकेट में 20 बरस बीता दिया ये सबके बूते की बात नहीं है। विश्व क्रिकेट में रिकॉर्डों के हिमालय पर विराजमान सचिन ने अपने रिकार्डों में एक और हीरा जड़ लिया है। 1989 में सोलह साल और 205 दिन में जब पाकिस्तान के खिलाफ बल्ला लेकर मैदान में उतरे तो किसी को क्या मालूम था कि ये छोटा सा बच्चा लिटिल मास्टर आने वाले समय मास्टर ब्लास्टर का विकराल रूप धारण कर लेगा।
सचिन शायद एक मात्र ऐसे खिलाड़ी हैं जिनके पास क्रिकेट की किताब के सारे शार्टस मौजूद हैं। क्रिकेट सचिन का एक मात्र शौक है उसके साथ ही वह चौबीसों घंटे खाते पीते, सोचते और समय बिताना पसंद करते हैं। क्रिकेटरों का सपना अगर सचिन जैसा बनना है तो, कौन कहता है कि उन्हें ऐसा सपना नहीं देखना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अपने आगमन के साथ ही सचिन ने क्रिकेट जगत को जिस तरह चमत्कृत करना शुरू किया. इससे साफ हो गया था कि महज एक खिलाड़ी नहीं बल्कि उनका पदार्पण ही इतिहास निर्माता के रूप में हुआ है।
20 वर्षो के अपने इस सफर में सचिन ने भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को वो सबकुछ दिया है जो शायद ही सभी क्रिकेटर दे सके। वैसे भी सचिन के लिए साबित करने को कुछ बचा नहीं है। उम्र, फिटनेंस और प्रतिभा के लिहाज से सचिन अभी 4-5 साल और खेलेंगे। ऐसे में उनके क्रिकेट करियर के कुल रिकॉड्स का अंदाजा लगाना कठिन है। उम्मीद है क्रिकेट जगत का ये नक्षत्र आगे भी अपनी चमक बिखेरता रहेगा और सारी दुनिया को अपने प्रदर्शन से चमत्कृत करता रहेगा.
इसी विचार के साथ-
"पढोगे लिखोगे बनोगे नवाब,
खेलोगे कूदोगे तो भी बनोगे नवाब...."
धन्यवाद्...

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