शुक्रवार, 9 जनवरी 2009

टेंशन के लाईट इफेक्ट....

सबसे पहले आप सभी को नए साल की हार्दिक शुभकामनाये॥ नया साल ढेर सारी बातें..इस बार की चिट्ठी है उन लोगो के नाम जो टेंशन से डरते है॥टेंशन से डरिये नहीं,टेंशन के कई फायदे भी हैं।बस जरा स नजरिया बदलने की जरुरत है॥फिर देखिये आपकी ज़िन्दगी कितनी खुबसूरत बन जाती है...

"गुजिश्ता दिन एक ख्वाब सा लगता है,कभी कांटा तो कभी गुलाब सा लगता है॥

कही चुभन,कहीं कशिश भी है, ये दर्दे ज़िन्दगी कितनी लाजवाब सी है।."

ऐसा ही कुछ मंज़र है ज़िन्दगी की।कब, क्या हो जाये कहना मुश्किल है।ढेर सारी योज़नाये,ख्वाबों का अम्बार।अपनों से आशाएं और दूसरो से मिली हार। उम्मीदों का सैलाब और भीड़ में गुम होने का डर। अनंत सपने आँखों मे संजोये,समूचा आकाश नापने की इच्छा लिए ,पूरा का पूरा शहर मुट्ठी में बंद कर लेने की हसरतो के साथ हम सयाने होने लगते है। कुछ कदम बढ़ते ही आसपास की तल्ख़ ज़मीं हमारे सपनों की आद्रता सोखने लगती है। ज़िन्दगी हर कदम पर तोड़ने लगी है। हंसी छिनने लगती है और हम मानने लगते है की हार और समझौता ही हमारी नियति है। फिर उत्साह ,उमंग दुम दबाकर कहीं दुबक जाते है। और ज़िन्दगी का पहिया एक ऐसी पथरीली राह पकड़ लेता है जहाँ हमें टेंशन के सिवा कुछ हाथ नहीं लगता। हम सोचने लगते है की काश ज़िन्दगी का भी कोई सेट फार्मूला होता।

जैसा की हम सब जानते है की निराशा,अवसाद,दुःख ,चिरचिरापन और मेंटल disorder इस टेंशन के नेगेटिव इफेक्ट हैं।और हम किसी भंवर की तरह ऐसे सिचुअशन से घबरा कर उलझते cहाले जाते हैं। टेंशन की ये सिचुअशन भी बड़ी अजीब है। किसी को वोर्कलोड़ का टेंशन तो किसी को वोर्कलेस का टेंशन। किसी को पर्सनल लाइफ की टेंशन तो किसी को प्रोफेशनल लाइफ की। किसी को अपनों से आगे जाने का टेंशन तो किसी को सबको पीछे छोड़ने की टेंशन।एक्साम मे पास और फेल होने का टेंशन तो सबको कोई न कोई टेंशन। हम सोचने लगते है इससे तो अच्छा बचपन ही था जब कोई टेंशन ही नहीं थी। लेकिन सही मायने में टेंशन से हाथापाई बचपन से ही शुरू हो जाती है। मतलब साफ है की टेंशन हाथ धोकर हमारी ज़िन्दगी में बड़े ही आराम से शुमार हो जाती है। एक टेंशन के खात्मे के साथ दूसरी टेंशन बगुले की तरह मुंह बाये दरवाजे पर खड़ी मिलाती है।

दरअसल हम सब मानवीय आदतों के चलते टेंशन से बच नहीं पाते है।

टेंशन के नेगेटिव इफेक्ट से तो हम सब वाकिफ है।लेकिन क्या इसके पोजिटिव इफेक्ट नहीं है? जरा सोचिये बिना टेंशन के हमारी ज़िन्दगी अधूरी नहीं है क्या। बिना टेंशन के हमारा वर्क टाइम से कम्प्लीट हो पता है। अगर हमें एक्साम की टेंशन न हो तो हमारी स्टडी सही से चल पायेगी। मंडे से फ्रायडे ऑफिस जाने का टेंशन न हो तो हम सही समय पर वह पहुच पाएंगे। लक्ष्य तक पहुचने का टेंशन न हो तो क्या हम अपना गोल अचीव कर पाएंगे। इसलिए एक लिमिट तक टेंशन का हमारी ज़िन्दगी मे होना सही है। अब ये आप पर डिपेंड करता है की आप इस टेंशन का नेगेटिव या पोजिटिव आस्पेक्ट चुनते हैं.

आज टेंशन दूर करने के लिए योग और ध्यान का सहारा लिया जा रहा है।सेमिनार्स हो रहे हैं,किताबों की लम्बी फौज तैयार हो रही है। लेकिन दोस्तों टेंशन कम नहीं हो रही है तो टेंशन लेते ही क्यों हो भाई॥ज़िन्दगी हर दिन नए सवालो के साथ आपके सामने होगी लेकिन मेरा यकीन मानिये जिस दिन आपके पास भी जवाबो की लम्बी फेहरिस्त तैयार हो जाएगी उसी दिन से टेंशन आपकी ज़िन्दगी से रफूचक्कर हो जाएगा। इसलिए दोस्तों लाइफ को इंजॉय कीजिये और भरपूर जिए। धूप के टुकरो को ज़िन्दगी में भर लीजिये और हवा का एक एक कतरा सीने मे उतार लीजिये। प्रोफेशन में पैशन का रंग भर कर आँखों की नमी को भुला दीजिये। दुसरो की ख़ुशी को अपना चोला बना लीजिये। फिर देखिये आपकी ज़िन्दगी से टेंशन खुद ब खुद छू मंतर हो जाएगा। इसलिए हम कोशिश करे की टेंशन सर्दी की वह सुनहरी धुप बने जो हमारी जरुरी काम निपटारे के लिए रोज हमारे आँगन में घर के एक नियमित सदस्य की तरह उतरती रहे।

धन्यवाद्...

6 टिप्‍पणियां:

कुमार संभव ने कहा…

टेंशन के लाइट इफेक्ट ...... बड़ा ही अनोखा लेख लगा, पढने के बाद टेंशन से होने वाले टेंशन ख़त्म हो गया , शिकायत है कि बहुत दिनों बाद पढने मिली चिट्ठी

राजीव करूणानिधि ने कहा…

''अपना ग़म लेके कहीं और ना जाया जाए,
घर में बिख़री हुई चीजों को सजाया जाए.
घर से मस्ज़िद है बहुत दूर चलो यू कर लें,
किसी रोते हुए बच्चे को हसाया जाए.''

निदा फाज़ली साहब ने ए शेर टेंशन के असर को कम करने के लिये ही शायद लिखा होगा. खालीपन, काम का बोझ, बेवफाई या असफलताये ए सभी चीजें नकारात्मक फील कराती है पर आप चाहें तो इनको आगे बढ़ने का जरिए भी बना सकते है. अगर आप खाली हैं तो कुछ सही चीजे प्लान कर सकते हैं, अच्छा लेख लिख सकतें हैं. असफलता को सफलता की सीढ़ी बना सकते हैं. परेशानी सिर्फ़ इसलिए होती है क्योंकि सब कुछ आपके अनुसार नहीं होता है. तो ए ज़रूरी भी नहीं कि हर काम हमारे चाहे अनुसार ही हो. ए ज्यादा ज़रूरी है कि काम हो. और हमें इसी से सतुष्ट भी होना सीखना पड़ेगा.

अखिलेश सिंह ने कहा…

टेंशन के लाइट इफेक्ट पढ़के टेंसंवा दूर हो गया.....

Unknown ने कहा…

टेंशन तो है टेंशन, टेंशन तो बेकार ही कीजिये,
हो गया जो किसी को टेंशन तो क्या कीजिये.
टेंशन का भी अपना मज़ा है.

Unknown ने कहा…

वाह सर जी आपने तो मेरी सारी टेंशन ही दूर कर दी. टेंशन पर आपका ये लेख लाजबाव है. बधाई.

Unknown ने कहा…

tenshion nahi lene ka tenshion ke fayde sameer jee ne bata diye hain ab tenshion thoda jyada lijiye.....