समीर की चिट्ठी

जुबाँ बनके ये करती हैं दिल की बात...

मंगलवार, 27 जून 2017


प्रस्तुतकर्ता समीर सृज़न पर 1:36:00 pm कोई टिप्पणी नहीं:
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समीर सृज़न
रांची, झारखण्ड, India
रांची विश्वविद्यालय, रांची से ग्रेजुएट इन इंग्लिश और माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से एमएससी इन इलेक्ट्रोनिक मीडिया.. उसके बाद ना तो अब तक मैंने पत्रकारिता में कोई उल्लेखनीय मुकाम हासिल किया है ना ही कोई नाम कमाया है. लेकिन आज भी मै पत्रकारिता में वही रोमांच का अनुभव करता हूं जो मैंने अपने पत्रकारिता के शुरूआती दिनों में अनुभव किया था. अभी भी आँखों में सितारे हैं. रोमांच का सफ़र जारी है... एक बात हम पत्रकारों के लिए जो रिच डेवास ने कही है- मुझे यकीन है कि दुनिया की प्रबल शक्तियों में से एक उनलोगों की इक्छाशक्ति है,जो खुद में यकीन करते हैं. जो ऊँचें लक्ष्य तय करने की हिम्मत करते हैं, जो जीवन में मनचाही चीज़ों का आत्मविश्वास से पीछा करते हैं...
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